इन दिनों देश की तक़रीबन सभी विधानसभाओं में मॉनसून सत्र जारी है। पल-पल की ख़बर रखते हों तो सिरफुटौव्वल लाइव देख सकते हैं या फिर अगले दिन अख़बार की तस्वीरों को देखकर बीते दिन की कार्यवाही का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। अमूमन सभी विधानसभाओं में भ्रष्टाचार का मुद्दा गर्माया हुआ है। बिहार में चुनाव से ठीक पहले कैग की रिपोर्ट में 11,412 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितताओं के मुद्दे को लेकर भूचाल आया है तो अवैध खनन और भ्रष्ट मंत्रियों को लेकर कर्नाटक विधानसभा में हंगामा जारी है। मध्य प्रदेश विधानसभा में भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सियासी तेवर तल्ख़ हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद की गूंज दोनों राज्यों की विधानसभाओं में सुनाई दे रही है, इतना ही नहीं बाभली जल विवाद को लेकर महाराष्ट्र का टकराव आंध्र प्रदेश से भी हो रहा है।
कहने का आशय है, मुद्दों को लेकर सियासी लड़ाई चरम पर है। खेद सिर्फ़ इतना है कि इस लड़ाई में हथियार, बौद्धिक विमर्श या बहस ना होकर जूते-चप्पल, गमले और कुर्सियां हैं। हमनें अब तक सिर्फ़ भ्रष्टाचार का ज़िक्र किया है, इसके अलावा भी दिगर मुद्दे हैं जो गूंज रहे हैं। आंतरिक सुरक्षा, बढ़ती महंगाई और जाने क्या क्या… दो राय नहीं संसद के मॉनसून सत्र के भी ज़बरदस्त हंगामाखेज़ रहने के आसार हैं। ख़ैर, ज़्यादा तनाव मत लीजिए, अगर आपको दूसरों की ख़ुशी से राहत मिलती है तो एक सुकून भरी ख़बर है।
भले ही आपकी थाली से वेरायटी ग़ायब हो रही है, भले ही आपके बटुए का वज़न रोज़ ब रोज़ हल्का हो रहा है, भले ही आपकी कंपनी आप पर मेहरबान ना हो रही हो... लेकिन, लेकिन सभी इतने बेबस और लाचार नहीं हैं। सभी ‘मैंगोपीपल’ नहीं हैं। जी हां, भले ही आप पाई-पाई की जुगत में लगे हों, भले ही आपका इंक्रीमेंट ना लग रहा हो लेकिन असम विधानसभा ने अपने विधायकों की तनख़्वाह में चार सौ फ़ीसदी का इंक्रीमेंट लगाया है, है ना सुकून भरी ख़बर।
सही है गुरूदेव.......
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