Monday, November 15, 2010

आहों की तहरीर



(एक मित्र की डायरी का वो पन्ना हाथ लगा, जिस पर कुछ आहों की तहरीर दर्ज थी, हूबहू आपके सामने रख रहा हूं )


बेहद कमज़ोर नींव पर तैयार हुआ वो रिश्ता, अब भी अपना वजूद तलाशता है। ना इक़रार था, ना वादा था, ना निबाह की कोई कसम ही खाई हो कभी। बस वक़्त का कमज़ोर क़िस्सा था, हालात की तपिश में झुलस गया। दो लफ़्ज़ प्यार के क्या मिले, ज़ुल्फ़ों की पनाह में दो घड़ी सुकून क्या मिला, दिल हो लिया उनका। काश ! सोचा होता, किस राह को चला है? अगर सोच ही लेता, तो कमबख़्त किस बात का दिल होता? किस बात का अफ़सोस करता, किस दास्तां पर सोग़ मनाता?

मैं तो उसी वक़्त जानता था, ग़लत कर रहा है ये। ख़याल भी आया कि रोकूं इसे, बताऊं कि ग़लत है वो .. फिर सोचा, जाने दो। दिल है, करेगा तो अपने ही दिल की। अब भी अक्सर रोता है, रंज मनाता है। कहता है.. जिससे लग गया हूं, उसी के पास ले चलो। मैं जानता हूं, नादान है। समझाने की कोशिश भी नहीं करता। ग़लती की है, अब भुगते सज़ा। लेकिन कभी-कभी इसकी तक़लीफ़ मुझे भी दुखाती है। जाने कैसा होगा वो जिसने इस बेचारे को दुखाया, दर्द से मुब्तिला कराया, जिसने आठों पहर सिर्फ़ और सिर्फ़ उसी का ख़याल किया। जिसने कभी उसमें मंदिर के भगवान को देखा तो कभी मस्जिद के ख़ुदा को। उसकी दुआएं किसी मंत्र से कम नहीं थीं, उसकी पाक सदाएं किसी अजान से कम असर नहीं रखती थीं। मैं नहीं समझ पाया कभी, क़ुबूल क्यों नहीं हुई?

इन दिनों मेरा दिल सबसे ज़्यादा वक़्त मेरे ही साथ गुज़ारता है। मुझे पता ही नहीं चला, कब इसने दिमाग़ और रफ़्ता रफ़्ता पूरे शरीर को अपने साथ मिला लिया। अब सिर्फ़ दिल ही नहीं रोता, मैं भी सिसकता हूं। दिल को समझाने के लिए तो मैं था, लेकिन मुझे समझाने के लिए कोई नहीं है... कोई भी नहीं...

4 comments:

  1. dil e barbad se nikla nahi ab tak koi............
    ek lute ghar po diya karta hai dastak koi.........

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  2. bahut khoob likha hai ... kayi baar jane anjane mein kayi aisi cheeze ho jati hai .... jiska ehsas us samay to nahi hota , par us pal k jane k baad zindagi bhar afsoos reh jata hai ....
    aapne bhi kuch aise hi palo ko yaha darshaya hai ... kafi dard hai is lekh mein ....

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  3. अक्सर होता ये है कि...दिल तभी बहकता है जब दिल्लगी करीब हो..।
    अच्छा हुआ दिल अपना वापस आ गया...।
    तब तो आज वह खुद को अपना मानता है वरना..न जाने इसे कौन समझाता की ये दुनिया फानी है...।

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  4. dillagi hamesha hi dard de jati hai...tab bhi kambakht ye dil preet parayi nahi chhodta...shayad isiliye kaha hai-"DIL TO BACHCHA HAI JI"

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