Tuesday, July 14, 2009

अब मुझे सो जाना चाहिए।।


सोच रहा हूं कि आज कुछ लिख ही लूं, नहीं रहने दिया जाए... रात के दो बज चुके हैं... 16-17 घंटे हो चुके हैं काम करते करते, दिमाग़ को आराम दिया जाए। सुबह फिर दफ़्तर आना है। आप भी छोड़िए, क्या पढ़ रहे हैं, अजी रहने दीजिए। देखिए मैं बिल्कुल भी लिखने के मूड में नहीं हूं... अरे, आप भी अजीब हैं, कह दिया ना लिखने का इरादा नहीं है। ग़ज़ब है, भई कोई ज़ोर ज़बरदस्ती है क्या... नहीं लिखना तो नहीं लिखना। वैसे भी इस वक़्त सूनी रातों में बारिश की तेज़ बूंदे चीख-चीख कर कह रही हैं कि डरो.. मुझसे ख़ौफ खाओ। लेकिन, जब ये स्याह रात मुझे लिखने से नहीं रोक पा रही तो भला मैं आपको पढ़ने से कैसे रोक सकता हूं। लेकिन सच कहूं ये उनींदी आंखें और की-बोर्ड पर कांपती उंगलियां बिल्कुल भी लिखने की इजाज़त नहीं दे रही। जाने मन क्यूं बेचैन है, जाने तरह-तरह के ख़्याल आ रहे हैं। जाने क्यूं लग रहा है कि लिख देने से सब ठीक हो जाएगा। मैं आपको इस लेख को पढ़ने से इतना मना कर चुका हूं कि मुझे पूरा भरोसा है कि आप अब तक इसे पढ़ना बंद कर चुके होंगे।
अगर ऐसा है तो चलिए मैं आपको बताता हूं मेरे अंदर और बाहर क्या चल रहा है। शुरुआत अपने पास से करता हूं... अरे भई तुम क्यूं आ गए भला, तुम्हे भी की-बोर्ड के आस-पास बने चाय के धब्बे अब ही नज़र आने थे... ठहरो-ठहरो, आ गए हो तो साफ़ कर ही लो। हो गया... मेरे सामने बहुत से टीवी चैनल चल रहे हैं, एक में समलैंगिकता पर ज़ोर शोर से विमर्श चल रहा है। वैसे ये मुद्दा है बहुत दिलचस्प, कभी सोचा भी नहीं था इस पर भी विमर्श हो सकता है !! शायद हम उस मुहाने पर खड़े हैं जहां नया पाने की हसरत में फेंका हुआ कूड़ा ही हमारा हासिल रह गया है। छोड़िए, मेरे चैनल पर छत्तीसगढ़ में शहीद हुए जवानों की ख़बर चल रही है, आपको पता है ना... छत्तीसगढ़ में रविवार को जो कुछ हुआ, वैसे ये संवेदनशील मुद्दा है। क्या ये वाकई गंभीर मसला है, तो फिर हमें तकलीफ़ क्यूं नहीं हो रही। ये क्या, अच्छा दिल्ली मेट्रो हादसे की ख़बर है, दिल्ली में हुआ मेट्रो हादसा भी ठीक नहीं रहा, लेकिन ये बड़ी ख़बर है... आख़िर दिल्ली की है।

अरे छोड़िए हम भी कहा टीवी देखने में उलझे हुए हैं, आपको पता है आज यहां झमाझम बारिश हुई, सावन का पहला सोमवार और बारिश की तीखी फुहारें... इसकी दरकार तो थी। वैसे इस बार देश की तमाम जगहों पर मॉनसून के देरी से पहुंचने से जो नुकसान होना था वो तो हो गया लेकिन रही कसर बारिश के न होने ने पूरी कर दी है। सोचिए अगर ठीक बारिश नहीं होगी तो क्या होगा, केंद्र सरकार का 9 फ़ीसदी की विकास दर का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा, महंगाई भी बढ़ जाएगी... अरे केंद्र को राज्यों को स्पेशल पैकेज भी तो देने होंगे। लेकिन क्या राज्य सरकारें किसानों को स्पेशल पैकेज देगी, नहीं ना। यार फिर तो भीखू मुश्किल में पड़ जाएगा, क्योंकि खुदकुशी तो वो करेगा नहीं और रही बात पलायन की तो गांव वो छोड़ सकता नहीं। फिर भीखू करेगा क्या, लगता है आप भीखू से मुख़ातिब नहीं। मैं आपको रूबरू कराता हूं, दरअसल भीखू नाम से ही भीखू है। भीखू का गांव में अच्छा ख़ासा रसूख़ है, ज़मीन भी ठीक ठाक है। भीखू की खेती की लोग मिसालें दिया करते थे, लेकिन इधर 5-10 बरसों में हालात ज़रा बदले हैं, खेती पर असर दिखने लगा है। एक तो परिवार छोटा, तिस पर मज़दूर नहीं मिल रहे आजकल। थोड़ी मुश्किल तो पेश आ रही है भीखू को, और ये अकाल की दस्तक, पेशानी पे बल पड़ना लाज़मी है। ख़ैर, इन भीखुओं की अब आदत पड़ चुकी है, और कौन सी खेती ही करती रहनी है... 2-4 बरस और फिर भीखू का शहर गया बेटा कमाने जो लगेगा... फिर किसे करनी खेती ? मैं सोचूं कि जिस भीखू का बेटा शहर न गया हो पढ़ने, उसका क्या होगा ? कहां 3-4 लाख सालाना निकल ही आता था पहले, लेकिन अब शहर में इतना भी नहीं कि इनकम टैक्स के दायरे में आ सकें। फिर भी चेहरे पे ख़ुशी है, हां कौन गांव में रहे। अब देखो भला, बाहर बारिश पड़ रही है, और मैं मज़े से लिख रहा हूं, अभी गांव होता तो बिना बिजली के मच्छर से संग्राम हो रहा होता। ठीक कह रहा हूं ना मैं... लेकिन अगर मैं इतना ही ख़ुश हूं तो रात के ढाई बजे क्यूं जाग रहा हूं, क्यूं उसे याद कर रहा हूं जिसे मैं पसंद नहीं करता, क्यूं पागलों जैसे कुछ भी लिखे जा रहा हूं। लगता है मुझे सो जाना चाहिए।










11 comments:

  1. रोचक और सार्थक चर्चा की निशान्त जी आपने अपनी इस रचना के माध्यम से। वाह।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. बहुत सही , पर रात को तो सो लिया कीजिये

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  3. kaafi gambheer baatein yu hi baaton baaton me kah di aapne !
    bahut badhiya laga :)

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  4. आपने मना कर दिया, इसलिये पढ़ नहीं रहा हूँ..टिप्पणी भी नहीं कर रहा..ये तो बस यूँ ही..जैसे वो!!

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  5. लो कल्लो बात...अमा मियाँ ..मन कर रहे थे की उकसा कर रहे थे...हम भी आँखें मीच-मीच कर पढ़ रहे थे...और टिपिया भी रहे हैं..झूल झूल कर..नींद जो आ रही है..अब क्या फायदा...आपकी पोस्ट पढ़ कर भाग गए...शैली मजेदार है..

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  6. You have a great potentil for writing carricatures ,have depicted the ambience ,mental echo and reflections of a common men .You can write without a subject ,now can write stories and Upanyaas(NOVELS,SHORT STORIES,REPORTAAZ KAVITA AKAVITA).You have become a likhkhaad(writer),god bless you,khuda khair kare .veerubhai 1947.blogspot.com

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  7. चलिए शुभकामनाएं तो कह ही देते हैं...

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  8. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है।आपके भाव दिल में उतर गए। बहुत अच्छा लिखा है बधाई।

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