Thursday, July 23, 2009
क्या सही हैं आप ???
कैसे हैं आप ? चलिए आज कुछ नई बात की जाए... मैं पुराना, आप पुराने, माहौल पुराना, सभी कुछ तो पुराना है फिर नया क्या कहा जाए ? नए की छोड़िए, कुछ पुराना ही सुनाइए, अजी पुराने में क्या रखा है... पुराना भी भला कभी बातचीत का मसला हुआ है ? फिर किस पर बात की जाए... अअअअअ$$$$$ अच्छा कभी आपको खुद के सही या ग़लत होने का एहसास हुआ है ? आपके सही की सही चर्चा न होना ये बताता है कि आप अक्सर सही होते हैं, और ये रूटीन में शामिल हो तो मान लीजिए कि आप सही हैं, ऐसा मैं मानता हूं। फिर ग़लत क्या है ….. सही की छोटी सी भी ग़लती, उसे ग़लत साबित कर देती है, आप समझ रहे हैं ना... दरअसल, हर किसी की एक इमेज होती है। उसी में सही और ग़लत छिपे होते हैं। बार-बार ग़लत होना, और उसे सही अंदाज़ में सही साबित करना हर किसी के बस में नहीं, ठीक वैसे ही हर बार सही होकर भी उसे सही साबित न कर पाना ग़लती के दायरे में शामिल हो जाता है। अरे ज़्यादा मत सोचिए, इस सही और ग़लत के बीच बड़ी महीन सी रेखा है... मुझे लगता है कि मैं हमेशा सही होता हूं, ये सही भी है, लेकिन वही ना... मैं खुद को सही तरीके से रख नहीं पाता, मैं ही नहीं.. मुझ जैसे कई हैं, जो दुनिया का सही जानते ही नहीं। ये सही थोड़े न, कि हर वो बात सही हो, जो आप सही सोच रहे हों, हो सकता है कि आपका सही सामने वाले को सही ना लगे। सही तो वो है तो सामने वाले को प्यारा लगे, और आपके दिल को झूठा। ठीक वैसे ही, आपको जो ग़लत लग रहा हो वो ग़लत नहीं भी हो सकता, दरअसल, ग़लत तो वो है जो सबको ग़लत लगे। आप एक के ग़लत महसूस कर लेने से क्या होना है।
अच्छा एक मज़ेदार बात, ग़लत के बारे में। ये जो ग़लत है ना... हर जगह है। हर बात में है, हर किसी में है, हम सब में है। हर चीज़ सामूहिक तौर पर मज़बूत होती है लेकिन ये ग़लत, कमबख़्त अकेला होने पर ही ताक़तवर होता है। हां मैं सही कह रहा हूं, फिर वही बात, सही बात जो ठहरी, कहा ना... अकेला सही खुद को साबित नहीं कर पाता, तो आप भी क्यों मानेंगे ?? सुनिए तो प्लीज़... आपको बात ग़लत तब ही लगती है जब वो आपके साथ होती है, औरों के साथ भी तो होती है... आप इग्नोर कर देते हैं, इसका एक हिस्सा भी आपके साथ हो जाए तो आप आसमान सर पर उठा लेते हैं... अजी आसमान छोड़िए, किसी के भी साथ ग़लत होने पर खुद के सही को ललकारिए, मज़ाल है कि ग़लत सर उठा सके। क्यों किसी का ग़लत आपके सही को दबा देता है, क्यों आपका सही उस ग़लत के आगे दुबक जाता है जिसका वजूद ही नहीं, क्यों किसी ग़लत के आगे आपके सही की सिसकियां दम तोड़ देती है ? अच्छा एक फॉर्मूला देता हूं, आज़माइएगा... अगर आपका सही हमेशा दबा रहा हो, हमेशा नकार दिया जा रहा हो, तो उसके कान में जाकर ये कहिएगा कि वो ग़लत है, वो झूठ बोल रहा है। आज़माइए तो सही... फिर देखिए इस सही की ताक़त, इस एक सही के पीछे पूरी दुनिया खड़ी दिखाई देगी, ये सही सब बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन खुद को ग़लत की क़तार में खड़ा देखना... कतई नहीं। सही, इस सही को सही देखना बड़ा सही लगेगा।।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
http://www.dewlance.com
ReplyDeleteDewlance Best Web Hosting
1 GB Web Space
Unlimited Bandwidth,email,ftp,domain parking...etc.
$2.92/year (Rs.146/year) Web Space 1 GB
$9.98/year (Rs.499/year) Web Space 5 GB
$15.99/year(Rs.799/year) Web Space 10 GB
.uk Domain $5 (Rs.250)
Reseller Hosting
Unlimited Bandwidth,email,ftp,domain parking on all plans
1. Disk Space 10 GB $7/m & $49/year (Rs.350/m & Rs.2450/year)
2. 30 GB Disk Space $16/m & $150/year (Rs.799/m & Rs.7500/Year)
3. Unlimited Disk Space $19.98/m & $199/year(Rs.999/m & Rs.9950/year)
Free Domain or All reseller hosting annaual Purchase
Free Domain Reseller on all reseller pack
Free Domain privacy
Free Tech. support
http://www.dewlance.com